धान रोपती औरतें
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कभी सूरज की तपिश
कभी बारिश की फुहार
के नीचे धान रोपती औरतें,
धान रोपना सृजन है
मिट्टी सृजनकर्ता..!
ऐसे ही रोपी जाती हैं पीढ़ियाँ
और ये औरतें
जीवन की तपिश में
सृजन करती हैं मानवता का..!
पर उपेक्षित हैं दोनों ही
मिट्टी और औरतें..!
©विमल
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