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"रूप ज्यादा महत्वपूर्ण है या गुण?" 

लेखक - निव्या

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भारतीय साहित्य का घीसा पीटा सवाल "रूप ज्यादा महत्व पूर्ण है या गुण" ये सवाल हमारे सम्मुख कई बार उपस्थित हो ही जाता है और इसके उत्तर में हम हर बार निसंकोच कह देते हैं नहीं गुण ज्यादा महत्वपूर्ण है बिना गुण के रूप का कोई महत्व नहीं रह जाता है, पर अगर देखा जाए तो जो लोग इस प्रश्न के उत्तर में गुण की ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं वहीं चेहरे की सुंदरता के आगे मन कि सुंदरता को भूल जाते हैैं । एक व्यक्ति कितना भी मन से सुंदर हो लेकिन तन की सुंदरता के आगे लोग उसके मन की सुंदरता को भूल जाते है यह एक कड़वा सच है, हा माना कि दीर्घकाल में मन की सुंदरता ही काम आती है परन्तु आप किसी से पहली बार मिले और उस पर तुरंत प्रभाव डालना है तो आपको मन से सुंदर नहीं, अपितु तन से सुंदर होना पड़ेगा, आप कितना भी साहित्यिक हो लें, संवेदनशील हो लें लेकिन लोग आपकी बातों को सुनना पसंद तभी करेंगे जब आप सुंदर दिखेंगे, एक डलहौजी गुलाब जो मेरे आंगन में लगा हुआ है सुगंध तो उसमे नाम मात्र की नहीं है पर हा अपने सुंदरता से सबको अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, उसी गुलाब के बगल में देसी गुलाब के पौधे लगे हुए हैं जो अपने गठन में उतने सुंदर नहीं हैं जितना वे डलहौजी गुलाब परन्तु खुशबू इनमें अपार है डलहौजी गुलाब देशी गुलाबों का सामना भी नहीं कर सकते परन्तु बात यहां रूप की आ जाती हैं इसलिए इस बात के कोई मायने नहीं रह जाते उसमे सुगंध है भी या नहीं लोग उसे ही पसन्द करते है और देशी गुलाब अपार सुगंध को अपने में समाहित किए हुए रूप की सतता के आगे हार जाता है ।

निव्या