एक मशाल बुझ गयी, जिसके चटक प्रकाश में हम अपने अतीत और भविष्य को देख लेते थे : विमल

प्रेम, खुशी या दुख के गहनतम क्षणों में अपने को अभिव्यक्त कर पाना सबसे मुश्किल कार्य है...!
जीवन इतना आकस्मिक और क्षणिक है कि हम सोच और चाह कर भी बहुत कुछ नहीं कर पाते हैं.. अपनी छोटी सी जीवन यात्रा में अनुभवों की विविध और लंबी फेहरिस्त जाने अनजाने में मिलती गयी मुझे...और लगातार प्रेम, ध्यान, ज्ञान, वासना, ग्लानि, पीड़ा के गहनतम छड़ों से गुजरता रहता हूँ... मौत के अन्धकार से अनभिज्ञ अनवरत अपनी जिज्ञासाओं संग चलता जा रहा हूँ...पर वक्त की करवट में कभी-कभी ठिठक कर रुक जाना पड़ता है...!

इस जीवन यात्रा में अप्रत्यक्ष रूप से एक अनूठे व्यक्ति का लंबा साथ रहा...

आज कुलदीप नैय्यर सर के निधन की खबर सुन कर स्तब्ध हूँ... उनका होना अपने आप में निष्पक्ष पत्रकार होने को परिभाषित करता था.. बचपन से उनको पढ़ता आया हूँ...एक भावनात्मक लगाव सा है उनसे.. आज लग रहा है घर (देश )के सर पर से एक साया हट गया... उनसे मिलने की अभिलाषा भी अधूरी रह गयी... लेखों के अतिरिक्त उनकी आत्मकथा “ बियांड द लिमिट्स ” हमें सजीव, ज्ञानवर्धक, निष्पक्ष, और अतीत की अन्तहीन यात्रा कराती है...! इस रिक्तता को भर पाना बहुत मुश्किल होगा.. आज एक वट वृक्ष की छाँव से महरूम हो गए हम लोग.. इस वटवृक्ष की शाखाएँ अभी उतनी समर्थ नहीं कि अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारीपूर्वक निर्वहन कर सके... एक मशाल बुझ गयी, जिसके चटक प्रकाश में हम अपने अतीत और भविष्य को देख लेते थे..!

अलविदा सर..!

#RIP

©विमल