ज़िन्दगी का एक नज़रिया | श्याम जी (अध्यापक)

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ये साँप की नगरी वाले हैं
हर घर में बिच्छू पाले हैं।

ये जिस्म से जितने गोरे हैं
ये रूह से उतने काले हैं।


किसी की अहमियत को समझना है तो उनके छोटे से कार्य से भी समझ सकते है, वरना नहीं समझना होता तो कोई भी बड़ा काम किसी काम का नही होता।

किसी को अपना नुकसान करके फ़ायदा उठाने देते हैं यह बेहद ही गलत है। आप शांत रहते हैं क्योंकि हो सकता है आप अकेले हैं। आपके साथ बहुत से लोग हैं लेकिन किसी से उम्मीद नहीं क्योंकि सब अपने ही लाभ के लिये है। ढेर सारे लोगों के साथ रह के भी अकेले रहने से अच्छा है कि बस कुछ लोगों के साथ रहिए, जो आपको समझते हैं।

काम का कोई आज के जमाने मे वैल्यू नहीं करता, लोग फायदा उठाते हैं आपका इसीलिए लोगों की हेल्प कम ही करना चाहिए आज के जमाने के हिसाब से। जल्दी ही लोगों पर भरोसा करना भी बेहद खतरनाक हो सकता है।

इस जमाने मे कौन कब काम आ जाये इसीलिए या इस डर से फालतू लोगों की मदद करना यह भी सही नही है क्योंकि जब काम आएगा तब देखा जाएगा। जैसे सब करते हैं वैसे हम भी करेंगे। खुद को सकून होगा कि हम जितने में हैं अपनी मर्ज़ी से हैं, खुश हैं। आप अपना निर्णय अपने लिए लीजिये। खुद के लिए स्वार्थी हो जाइये तभी खुद के लिए खुशी संतोष मिलेगा। हमें तो बस एक ही लाइफ मिली है तो खुद के लिए सोचना तो बनता है। अगर आप दूसरों की खुशी के लिए काम करेंगे तो आप कभी भी खुश नहीं हो पायेंगे।

अपने मन की करना चाहिए भले ही कितना गलत क्यों न हो लोगों की नज़रों में। अपने लिये किया करिये। खुद को थोड़ा चेंज करके एक लिस्ट बनाईये जो आपको करना है और कोशिश करिये उसको पूरा करने की।

श्याम जी (अध्यापक)
मछली शहर 
जौनपुर