कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान, प्रसन्न , सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ!

 


"एक कहानी अपने आपको कहेगी. मुकम्मल कहानी होगी और अधूरी भी, जैसा कहानियों का चलन है. दिलचस्प कहानी है"


बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के यह पहले दो वाक्य हैं।


हिंदी में बुकर तक पहुंचने की जो कहानी अधूरी पड़ी थी, उसे गीतांजलि श्री ने मुकम्मल कर दिया है। इस उपन्यास के अंग्रेज़ी अनुवाद 'टूंब ऑफ़ सैंड' ने 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है।


पुरस्कार स्वीकार करने के लिए दी गई अपनी स्पीच में गीतांजलि श्री ने कहा, "मैंने कभी बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान, प्रसन्न , सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ, मैं और ये पुस्तक दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा से जुड़े हैं. विश्व साहित्य इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर समृद्ध होगा."


राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित 'रेत समाधि' हिंदी की पहली ऐसी कृति है जो न केवल अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्गलिस्ट और शॉर्टलिस्ट तक पहुंची बल्कि बुकर जीती भी, इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है।