- चंद्रभूषण सिंह यादव
भारतीय रेल की कमान जब लालू प्रसाद यादव जी के हाथों में थी तो बड़े पैमाने पर कुली रेल कर्मचारी हुये,नई नियुक्तियां हुईं,बुजुर्गों को सीनियर सिटीजन के नाम पर रेल टिकट में छूट मिला,गरीब रथ के एसी कोच में मजदूर सफर करने लगे,यात्री या माल भाड़े में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई और रेलवे मुनाफे में रही जिसे समझने के लिए हार्वर्ड को लालू जी को बुलाकर ब्याख्यान कराना पड़ा लेकिन जब से न खाएंगे, न खाने देंगे वाले आये है, रेलवे में 03 लाख 12 हजार पद खाली पड़े हुये है जिनमे 01 लाख 40 हजार सेफ्टी से जुड़े हुये पद हैं,फिर हादसे क्यों नहीं होंगे? रेलवे के पास जब कर्मचारी नहीं होंगे तो फिर वह चलेगी कैसे?नई सन्सद बनाने को पैसे हैं,लोकसभा सांसदों की सीट 543 से 800 व राज्यसभा सांसदों की सीट 245 से 332 करने के लिये पैसा है लेकिन जो रेलवे देश के अर्थव्यवस्था की रीढ़ है उसमें कर्मचारी नियुक्त करने के लिए पैसा नहीं है।
जब रेलवे के पास 01 लाख 40 हजार सेफ्टी स्टाफ नहीं हैं तो फिर रेलवे यात्रा सेफ कैसे होगी?इस सरकार ने टिकट कैंसिलेशन में लगभग सारा पैसा ग्राहक का डकारने का इंतजाम कर रखा है। आन लाइन टिकट बुकिंग में अनेक तरह के चार्जेज से भारी कमाई है। सीनियर सिटीजन का रिवेट खत्म है।सन्सद में सस्ते में भोजन-नाश्ता रेलवे द्वारा कराया जाता था,वह मितव्ययिता के नाम पर समाप्त है किराए,स्टेशन टिकट आदि में भारी बढ़ोतरी हुई है।अनेक तरह के चार्जेज अलग से लिये जा रहे हैं।रेल व स्टेशन आदि बेचकर अतिरिक्त आय की जा रही है। रेलवे में महीनों पूर्व टिकट बुकिंग फुल रह रहा है फिर भी 01.40 लाख सेफ्टी स्टाफ नहीं हैं। कुल 03.12 लाख पद खाली हैं।आखिर रेल की यात्रा सुरक्षित कैसे होगी?
यह तो भारत है जहां कमाऊ पूत रेलवे को भगवान भरोसे छोड़ रखा गया है और भारतीय प्रधानमंत्री जी रेल हादसों के वक्त भी परिधान बदलने के अपने शगल को पूर्ण करने में मशगूल रह रहे हैं। एक दुर्घटना के वक्त तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल साहब ड्रेस बदलने के शौक में अपना पद गवां बैठे थे लेकिन यहां तो चारो तरफ चाटुकारों की फौज खड़ी है,कौन कहेगा कि राजा नँगा है, दुर्घटना में भी उसे ड्रेस बदलने की पड़ी है? सारे देश का भार अपने सर ओढ़े रखने वाले एवं नई ट्रेनों को झंडा दिखाने वाले प्रधानमंत्री से कौन कहेगा कि रेल मंत्री भले ही नियुक्त हैं पर वास्तविक रेलमंत्री तो आप ही हैं इसलिए इस सदी की सबसे भयावह रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी भी आपकी ही बनती है?क्या तनिक भर लज्जा-हया है जैसा पूर्व में नीतीश व लालबहादुर शास्त्री आदि ने नजीर प्रस्तुत कर रखा है या निरा बेशर्म ही हैं सभी?
यह लेख श्री चंद्रभूषण सिंह यादव के फेसबुक वाल से लिया गया है।
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