जब जंग सरहदों से परे हो जाए…
हम आम तौर पर युद्ध को टैंक, बंदूक और सीमा पर सैनिकों की लड़ाई के रूप में देखते हैं। लेकिन 21वीं सदी के युद्ध इससे कहीं आगे निकल चुके हैं। इसका ताज़ा उदाहरण है ईरान और इज़राइल के बीच चल रही लड़ाई, जिसमें दोनों देश लगभग 2000 किलोमीटर की दूरी पर होने के बावजूद एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं।
इज़राइल और ईरान की राजधानी तेल अवीव और तेहरान के बीच की सीधी दूरी लगभग 1600 से 2000 किलोमीटर है। इतनी दूर बैठा देश सीधे हमला कैसे कर रहा है? आइए इस “लंबी दूरी के युद्ध” को टुकड़ों में समझते हैं।
1. मिसाइल और ड्रोन – लंबी दूरी के हथियार
ईरान और इज़राइल अब हाथ में तलवार लेकर नहीं लड़ते। उनके पास हैं:
Ballistic Missiles:
ईरान के पास ऐसे मिसाइल हैं जो 2000 किलोमीटर या उससे ज्यादा दूरी तक मार कर सकते हैं, जैसे कि Shahab-3। ये मिसाइलें 15 मिनट में इज़राइल को छू सकती हैं।
ड्रोन:
ईरान ने "शाहिद" जैसे ड्रोन बनाए हैं, जो बिना पायलट के सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर जाकर हमला कर सकते हैं।
इसी तरह, इज़राइल के पास भी लंबी दूरी की एयर स्ट्राइक क्षमता है – उसके F-35 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट्स 2000+ किलोमीटर जाकर भी हमला कर सकते हैं, वो भी बिना दुश्मन को पता चले।
2. प्रॉक्सी वार - अपने सैनिक नहीं, दूसरों के कंधे पर बंदूक
ईरान खुद सीधे इज़राइल पर हमला नहीं करता। वो करता है:
Proxy Groups (प्रतिनिधि समूह):
लेबनान का हिजबुल्लाह
गाज़ा का हमास
सीरिया और इराक में शिया मिलिशिया
ईरान इन समूहों को हथियार और फंडिंग देता है और ये ग्रुप इज़राइल के बॉर्डर से सीधे हमला करते हैं।
इज़राइल भी सीरिया और लेबनान में इन ग्रुप्स पर एयरस्ट्राइक करता है — यानी लड़ाई ईरान-इज़राइल की है, लेकिन मैदान सीरिया, गाज़ा, और लेबनान का है।
3. साइबर युद्ध और जासूसी – बिना गोली चलाए हमला
इज़राइल और ईरान दोनों एक-दूसरे पर साइबर अटैक करते हैं।
इज़राइल ने कथित तौर पर ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को "Stuxnet" वायरस से नुकसान पहुंचाया था।
ईरान ने भी इज़राइल के एयरपोर्ट, बैंकिंग सिस्टम और पानी सप्लाई पर साइबर अटैक की कोशिश की।
4. खुफिया एजेंसियां – 'जेम्स बॉन्ड' असली दुनिया में
इज़राइल की Mossad और ईरान की IRGC (Revolutionary Guards) जैसे संगठन दुनिया भर में छिपकर काम करते हैं। दुश्मन देश में हत्या करना, वैज्ञानिकों को मारना, डेटा चुराना – ये सब भी युद्ध का हिस्सा है।
तो कुल मिलाकर:
अब युद्ध सिर्फ बॉर्डर पर नहीं होता, वो हवा, अंतरिक्ष, इंटरनेट, और मनोवैज्ञानिक स्तर पर लड़ा जाता है।
इसलिए 2000 किलोमीटर दूर बैठे इज़राइल और ईरान भी एक-दूसरे को “छू” सकते हैं — तकनीक के हथियारों से।