एक दिया ऐसा भी जले । ©️विमल
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एक दिया उन सपनों को
जो जगते जगते सो गए ,
एक दिया उन कदमों को
जो भीड़ में चल कर खो गए।
एक दिया उन अंधेरों को
जो दिल में छुप कर बैठे हैं ,
एक दिया उन नैनों को
जो चुप रह कर सब कहते हैं।
एक दिया उन ज़ज्बातों को
जो टूटे मन में संचित हैं ,
एक दिया उन मजलूमों को
जो अब भी रोशनी से वंचित हैं ।
एक दिया ऐसा भी जलाना
जिसमें ना कोई नुमाइश हो ,
एक दिया ऐसा भी जले
जिसे सच पर मिटने की ख्वाहिश हो..!
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एक दिया उन सपनों को
जो जगते जगते सो गए ,
एक दिया उन कदमों को
जो भीड़ में चल कर खो गए।
एक दिया उन अंधेरों को
जो दिल में छुप कर बैठे हैं ,
एक दिया उन नैनों को
जो चुप रह कर सब कहते हैं।
एक दिया उन ज़ज्बातों को
जो टूटे मन में संचित हैं ,
एक दिया उन मजलूमों को
जो अब भी रोशनी से वंचित हैं ।
एक दिया ऐसा भी जलाना
जिसमें ना कोई नुमाइश हो ,
एक दिया ऐसा भी जले
जिसे सच पर मिटने की ख्वाहिश हो..!