मौत को लेकर एक क्राइम रिपोर्टर का अनुभव । matvala


क्राइम रिपोर्टर होने कि वजह से मौत और समय से मुझे कई बार साक्षात्कार करने का मौका मिला है मेरा मानना है कि दोनों अटल है और कोई अदृश्य शक्ति है जो इस पूरी दुनिया को चला रहा है हम आप सब कठपुतली हैं ।
                       ये अलग बात है कि  हम सब अब इन सत्य कि खोज को छोड़ कर मोह माया में उलझ कर रह गये हैं और अपने आपको ही सर्व शक्तिमान समझने लगे हैं ।पूरा संदर्भ सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या को ही जोड़ कर मैं ये पोस्ट लिख रहा हूं।
             जहां तक मुझे याद है कि बिहार के एक जेल से एक अपराधी का फोन आया संतोष जी आज कुछ अपराधी जेल गेट पर आया हुआ था डांन से मिलने, डांन ने उस व्यक्ति की हत्या कि सुपारी दी है एक दो सप्ताह के अंदर उसकी हत्या हो जायेगी वो अपराधी मुझे यह सूचना देने के लिए फोन नहीं किया था फोन वो किसी आपराधिक घटना को लेकर चल रही खबर के संदर्भ को लेकर किया था ।
                                                                 बात आई चली गयी संयोग से अचानक एक दिन मुझे याद आया और मैं तुरंत एसपी को फोन किया आपके जिले में एक बड़े कारोबारी कि हत्या होने वाली है थोड़ा देख लीजिए एसपी तुरंत उस थाने के थानेदार को फोन किया उस कारबोरी को ट्रेस करो उसकी हत्या होने वाली है ।
                                       संयोग से थानेदार उस समय कही से आ रहा था और उस कारोबारी को फोन किया तो वो अपने परिवार के साथ कही जा रहा था थानेदार ने जैसे ही उसका जानकारी दिया कि आपके पीछे कुछ लोग लगे हुए हैं तो वो कारोबारी बोला सर मुझे भी ऐसा कुछ अभास हुआ है ।
                      आज जब सुबह घर से निकले है तो उस चौक से लग रहा है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है कई बार तीन चार मोटरसाइकल वाला कभी ओभर टेक करके आगे बढ जाता है तो कभी पीछे हो जाता है।
                                                           थानेदार ने तुरंत उसको कहा कि जितनी तेज आप गाड़ी भगा सकते हैं भगाए मैं आ रहा हूं  औऱ फिर थानेदार एसपी को फोन किया चंद मिनट में जिले का सारा थाना उस और बढ गया तीन मोटरसाइकिल पर सवार छह अपराधी पकड़े गये सभी अत्याधुनिक हथियार के साथ। पुछताछ हुआ तो सारी बात सामने आ गयी ।
                               कुछ दिनों के बाद संयोग से उस जिले का एसपी पटना हाईकोर्ट किसी काम से आये हुए थे मुलाकात का समय तय हुआ मिलते ही उन्होने कहा संतोष जी आप नहीं बताते तो बहुत बड़ी घटना घट जाती फिर मैंने उन्हें बताया कि सूचना तो मुझे दस दिन पहले ही मिली थी लेकिन मैं उस सूचना को गंभीरता से नहीं लिया।
    लेकिन उस दिन सुबह पता नहीं अचानक याद आया और बिना वक्त गवाये आपको फोन कर दिये मुझे क्या पता था कि आज ही उसको ये लोग टपकाने वाला है। संतोष जी कोई शक्ति तो है जो सब कुछ तय करता है ।
                        इसी तरह का एक और वाकिया मेरे जीवन में आया जानकारी मिली कि उस व्यक्ति कि हत्या  हो जायेगी हलाकि वो व्यक्ति इतना अंहकारी था कि मैंने सोचा कि उसके कहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों नहीं उसके  पिता और पत्नी को जा कर कह देते हैं इस आदमी को सम्भालिए नहीं तो इसकी हत्या हो जायेगी।
                      यही सोच करके मैं उसके घर गया गाड़ी लगाये लेकिन संयोग से एक व्यक्ति से उसके घर के सामने ही मुलाकात हो गयी और फिर एक घंटे तक हम लोग बात करने में इतने मशगूल हो गये कि याद ही नही रहा कि किस काम के लिए आये हुए थे और फिर पटना लौटे तब एक सप्ताह बाद याद आया कि उसके पिता जी से तो मिले ही नहीं और अगले ही दिन खबर मिली कि उसकी हत्या हो गयी ।
                   आज भी मुझे जब कभी उस व्यक्ति कि याद आती है तो मुझे बहुत अफसोस होता है कि ये जानते हुए कि उसकी हत्या हो जायेगी बचा नहीं सके।
                 ऐसी कई घटनाओं का मैं साक्षी हूं कि सब कुछ होने के बावजूद आप कुछ भी नहीं हैं कोई है जो आपको अंगूली पर नचा रहा है ।ये जानते हुए कि ये व्यक्ति जहां जा रहा है वहां इसकी गिरफ्तारी हो जायेगी  उस अधिकारी के चैम्बर के रास्ते में हमारी उनसे मुलाकात होती है लेकिन मैं उन्हें रोक नहीं सका कि आप मत जाये वो अधिकारी आपको गिरफ्तार करने के लिए ही बुलाया है। मुलाकात होती है उसी मुकदमे के बारे में ही बात होती है लेकिन उन्हें कह नहीं सका कि आप उस अधिकारी से मत मिले वो आज आपको गिरफ्तार कर लेगा।
              मुलाकात के बाद दो कदम ही आगे बढे होगे कि मुझे याद आया लेकिन पलटते हैं तो देखते हैं वो व्यक्ति उस अधिकारी के चैम्बर में घुस रहा है और थोड़ी देर बाद उसी अधिकारी का मैसेज आया कि उसकी गिरफ्तारी हो गयी है आज भी मैं उस घटना को भुल नहीं पाया हूं कैसे वो व्यक्ति पचास कदम की दूरी महज कुछ सेकेंड में पार कर गया।
 खबर मिली कि सरकार के एक विभाग में एक बड़ा रेड होने वाला है मैंने उस विभाग के एक अधिकारी को इसकी जानकारी दी कि आपके यहां एक बड़ा रेड होने वाला है कुछ हुआ है क्या उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा तो कुछ नहीं हुआ है ।
    और फिर थोड़ी देर बाद खबर आती है कि रेड में एक अधिकारी  गिरफ्तार हो गया। बाद में जब उस अधिकारी से बात किया तो पता चला कि सभी अधिकारी से वो बात किया लेकिन जिसके यहां रेड हुआ उस अधिकारी के बारे में याद ही नहीं रहा जबकि दोनों कांलेज में साथ पढे थे ,नौकरी साथ साथ कर रहे थे।
    दोनों साथ साथ पटना में घर बनाये , दोनों के बच्चे साथ पढते हैं फिर मैंने उनसे पुंछा उनको क्यों नहीं कहे वो अधिकारी रोने लगा कहां संतोष जी सब को सर्तक किया लेकिन अपने मित्र को ही कहना भूल गये कैसे याद नहीं आया उसका नाम अभी भी जब याद आता है रोने लगते हैं उसकी दोनों बेटी को मैं ही पढा रहा हूं औऱ उसके परिवार को भी मैं ही चला रहा हूं ।
     इसी तरह एक व्यक्ति जिससे काफी दिनों से बात नहीं हो रही थी अचानक उसका फोन आया संतोष जी पटना आ रहे हैं मैं खुद से चिकेन बना रहे हैं आज आँफिस खाना लेकर नहीं आइएगा मैं दो बजे तक पटना पहुंच जाउँगा  वो व्यक्ति बहुत बढिया नोनभेज बनता था लेकिन दो तीन वर्षो से सम्पर्क में नहीं था ।
                                          वो व्यक्ति खुद चिकेन लेकर आया साथ खाना खाया उसको पता था कि मैं नोनभेज खाने के बाद पान खाना पसंद करते हैं वो पान भी डाकबंगला पर ले लिया था घंटो बातचीत हुई बहुत खुश था चलते चलते बस इतना ही कहा संतोष जी इस दुनिया में छल प्रपंच के अलावे कुछ भी नहीं है औऱ तीसके दिन पता चला कि वो व्यक्ति सुसाइड कर लिया उसको घर गया तो पता चला पिछले 15 दिनों में जिससे भी उसका रिश्ता अच्छा था सबसे मिला भी उसके पसंद के समान के साथ ।
                                 मतलब जो व्यक्ति मृत्यु को सोच लिया वो सब बातो से उपर उठ जाता है और वो बहुत खुश रहता है और कोई कमजोर व्यक्ति मौत के बारे में सोच भी नहीं सकता हमेशा मजबूत व्यक्ति ही इस तरह का निर्णय लेता है । वैसे ही मरने वाले व्यक्ति को भी उसके जाने का अभास होने लगता है । यही सत्य है लेकिन इस सत्य को लेकर कभी हम लोग चर्चा तक नहीं करते हैं ।

सन्तोष सिंह के फेसबुक वॉल से..
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3128852170487219&id=100000874019109