वह कहाँ छूट गया, चुप-सा आदमी? शायद पीछे लौट गया है ! हमें पहले ही ख़बर थी, उसमें दम नहीं है । सुरजीत पातर
Sachin Samar
मैं जिन लोगों के लिए
पुल बन गया था
वे जब मुझ पर से
गुज़र कर जा रहे थे
मैंने सुना—मेरे बारे में कह रहे थे
वह कहाँ छूट गया
चुप-सा आदमी?
शायद पीछे लौट गया है!
हमें पहले ही ख़बर थी
उसमें दम नहीं है।
~•~ सुरजीत पातर
पंजाबी से अनुवाद : चमनलाल