वैश्विक महामारी और वैश्विक राजनीति पर इसके निहितार्थ | Navchetana


 इस समय पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है . यदि हम आज कोरोना वायरस का नाम सुनते हैं तो , जो वस्तुस्थिति सर्वप्रथम उभरकर सामने आती है वह ' क्वारंटाइन ( अपनी गतिविधियों को स्वयं तक सीमित करना ) या आइसोलेशन ( एकाकीकरण ) ' है । यह आइसोलेशन न केवल व्यक्ति या समाज के स्तर पर हुआ है बल्कि विभिन्न देशों की सीमाओं की स्तर पर भी हो गया है । इस वैश्विक आपदा की स्थिति में जहाँ एक ओर युद्ध स्तर पर बचाव के प्रयास किये जा रहे हैं तो और ऐसे समय में आपसी सहयोग बढ़ाने और संकट में फंसी दुनिया को नेतृत्व देने के बजाय , दुनिया के दो शक्तिशाली देश , अमेरिका और चीन आपसी संघर्ष में उलझे हुए हैं जैसाकि , अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष का मौजूदा दौर भी विवादों से शुरू हुआ है , जैसे कि , पत्रकारों का निष्कासन और कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए एक दूसरे को ज़िम्मेदार ठहराना , अमेरिका द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकना । ऐसी स्थिति में प्रश्न उठता है कि क्या इस वायरस का प्रभाव भू - रणनीतिक व्यवस्था को परिवर्तित कर देगा ? क्या एक बार फिर विश्व शीत युद्ध के दौर में एकध्रुवीय राजनीतिक व्यवस्था की ओर मुड़ जाएगी ? इसका प्रभाव अमेरिका - चीन व्यापार दोनों देशों के राष्ट्रपति चुनाव दुनियाभर में चीन के लोगों के साथ नस्लीय विभेद की आशंका वैश्विक पुनर्निर्माण के नए केंद्र की स्थापना , चीन के विनिर्माण क्षेत्र को अपना प्रभुत्व पुनर्स्थापित करने में कई दशक तक लंबा संघर्ष करना पड़ सकता है , जिससे उसकी नव - साम्राज्यवादी नीतियों पर विराम लग सकता है , विश्व अर्थव्यवस्था को भारी चोट लग सकती है । कोरोना वायरस से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों की चीन पर निर्भरता पैक्स सिनिका ' की अवधारणा को साबित कर रही है और चीन का उत्कर्ष हो रहा है और अमेरिका का धीरे - धीरे पराभाव हो रहा है ।


अनुराग शुक्ल
 (राजनीति विज्ञान) 
विश्विद्यालय-काशी हिंदू विश्वविद्यालय
ईमेलAs106281@gmail.com
मो.-9628304722