छात्र नेता,वकील से वित्त मंत्री तक,अरुण जेटली के सफर की पूरी कहानी



अरुण जेटली ने बीजेपी को एक अलग ऊंचाई पर पहुंचाने में मदद की

लगभग दो दशकों तक बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रहे जेटली ने ब्रांड मोदी खड़ा करने में मुख्य भूमिका निभाई थी. उन्होंने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी जिसने भगवा पार्टी को उस ऊंचाई पर पहुंचने में मदद की जिस पर फिलहाल वो है. जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर हुआ.
एक छात्र नेता
श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स और फैकल्टी ऑफ लॉ के छात्र जेटली RSS के स्टूडेंट विंग ABVP के सदस्य बने. उनकी राजनीति में एंट्री तब हुई जब उन्होंने 1970 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव जीता. इमरजेंसी के समय जेटली ने छात्र नेता के रूप में इंदिरा गांधी का विरोध किया.
एक वकील
37 साल की उम्र में जेटली भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बने. और बोफोर्स घोटाला समेत कई हाई प्रोफाइल केस को देखा. 2009 में राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद उन्होंने अपनी प्रैक्टिस छोड़ दी.
बीजेपी के बड़े नेता
1991 में वे बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने. उनकी कार्यक्षमता की वजह से उन्हें 1999 से 2004 के बीच वाजपेयी सरकार में कानून और न्याय, कॉमर्स और इंडस्ट्री और कॉर्पोरेट अफेयर्स जैसे प्रमुख विभाग दिए गए.
2004 में यूपीए से हारने के बाद उन्हें बीजेपी का महासचिव बनाया गया. 2014 लोकसभा चुनाव में  अमृतसर से कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ  चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश से वो दोबारा राज्यसभा सांसद बने.
पीएम मोदी के विश्वासपात्र
2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें रक्षा, वित्त और कॉर्पोरेट अफेयर्स जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए. वित्त मंत्री के रूप में उन्हें जीएसटी लागू करने का श्रेय जाता है.नोटबंदी के बाद व्यवस्था को पटरी पर लाना उनके कार्यकाल की एक और बड़ी उपलब्धि थी.
जेटली ने 24 अगस्त 2019 को 66 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. वे अपने पीछे पत्नी संगीता और एक बेटे और बेटी को छोड़ गए हैं