कोरोनावायरस से लड़ाई के इस दौर में "योग" का योगदान । शालिनी मिश्रा

कोरोनावायरस से लड़ाई के इस दौर में "योग" का योगदान:-  सबसे पहले हम जानते है योग क्या हैं? युज धातु से योग शब्द बनता है। जिसका अर्थ जोड़ना, जुड़ जाना व मिलाना हैं। 2500 साल पुराने इस शास्त्र के हठयोग, अष्टांगयोग, मंत्रयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग, राजयोग ऐसे अनेक प्रकार मिलते हैं।                   आज कल के जीवन शैली में सबसे ज्यादा लोकप्रिय, चिकित्सा योग्य अन्य योग को बढ़ावा देने वाला तथा आध्यात्मिक उन्नति से परिपूर्ण ऐसा योग है हठयोग।                 अब क्रमशः हम कुछ आसन और प्राणायाम को जानेंगे जिससे इस कोरोना काल में हम अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता (immunity power) को बढ़ा कर स्वस्थ रह सकते हैं।   आसन किसी भी स्थिति में स्थिरता पूर्वक बैठने को आसन कहते हैं।        

1. त्रिकोणासन(Triangale pose) - त्रिकोणासन immunity sestam कि मजबूती के लिए एक महत्वपर्ण आसन हैं। इस आसन के नियमित अभ्यास से याददाश्त अच्छा होता है , कई प्रकार के दर्द से राहत मिलती है और हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती हैं।                     Limitesan स्लिप डिस्क, गर्दन और पीठ दर्द , माइग्रेन, और बी. पी . जैसे परेशानियों वाले लोग इस आसन को ना करें ।                                     भुजंगासन(cobra pose) - भुजंगासन को cobra pose भी कहा जाता है , एक कोबरा के उभरे हुए हुड जैसा दिखता है । भुजंगासन सुर्यनमस्कार अभ्यास का भी हिस्सा है , 15 -30  सेकेण्ड या 5-10 सास के लिए इस बेसिक लेबल अष्टांग योग मुद्रा को करे यह आपकी immunty sestem के लिए फायदेमंद हो सकता हैं।              Limitesan- अल्सर , हर्निया , उच्चरक्तचाप वाले इस अभ्यास को न करें।     3 ताड़ासन (mountain pose) - नियमित रूप से ताड़ासन करने से आप अपना immunty power बढ़ा सकते हैं।  यह एक ऐसा आसन है जिससे न सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य मिल सकता है बल्कि यह शरीर को स्ट्रेच करने में भी मददगार हो सकता हैं। Limiteson- जिन्हें चक्कर आता हो , जोड़ो में (घुटने, टखनों में) दर्द हो वो ये आसन न करें।                              प्राणायाम - योग में प्राणायाम का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान हैं।  प्राणायाम का नियमित अभ्यास करके हम अपने immunty system और immunty को boost कर सकते हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हम प्राणायाम को रोज अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप अपने शरीर को अंदर से और अधिक मजबूत बना सकते है , और बीमारियों से अपना बचाव के सकते हैं।                            1 अनुलोम विलोम (नाड़ी शोधन प्राणायाम)-  अनुलोम विलोम प्राणायाम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते हैं इस प्राणायाम से हमारे शरीर की 72000 नाड़ीया शुद्ध हो जाती हैं।  इस प्राणायाम में बायी ( left ) नासिका से श्वास लेते हैं और दायी (right) नासिका से छोड़ते हैं यही क्रम उल्टा दोहराते हुए  दा यी नासिका से श्वास लेके बा यी से श्वास छोड़ते हैं तो यह एक क्रम पूरा होता है।  नाड़ी शोधन प्रणायाम शरीर की प्राण ऊर्जा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। यह हमारे  मन को शांत करता है तनाव दूर करता हैं , शरीर के Nervous system  पर सकारात्मक प्रभाव डालता है ।                    हमारे श्वासन तंत्र   यानि हमारे lungs और Respiratory system के लिए एक वरदान की तरह हैं। इसको रोज करने से Respiratory Allergies जैसे:- सर्दी , जुखाम, छींक आना या  Corona वायरस का इंफेक्शन आदि से बचा जा सकता हैं।               Limiteson -                 


        

 2 भस्त्रिका प्राणायाम-

अनुलोम विलोम प्राणायम के limiteson- चक्कर , अस्थमा , दिल की बीमारी, कैंसर आदि जैसे गंभीर बीमारियों मे इसका अभ्यास न करें । किसी अनुभवी योग गुरु के निरीक्षण में ही करे।                                 2  भस्त्रिका प्राणायाम- भस्त्रिका प्राणायाम में धौकनी की भांति आवाज करते हुए वेगपूर्वक  शुद्ध हवा अंदर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को भी तेजी से बाहर निकालते हैं। यह प्राणायाम हमारे Respiratory system को साफ करता है, lungs कि शक्ति  और  रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।  शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती । इस  प्राणायाम के नियमित अभ्यास से श्वास न तंत्र से संबंधित कोई भी रोग नहीं सताता हैं।       Limiteson - उच्चरक्तचाप , हृदय रोगी , अल्सर , अस्थमा होने पर  इसे न करें।

शालिनी मिश्रा

(योग प्रशिक्षक )  शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र,  उत्तर प्रदेश सरकार, शिवपुर  वाराणसी

 

 

 

Tags