©रामाज्ञा शशिधर
पत्थर कहो पेड़ या
फावड़ा कहो मेड़ या
गीदड़ कहो शेर या
आदमी कहो भेड़ या
मोरनृत्य अक्ष पर
पीठ और वक्ष पर
फ्रॉड है हर पक्ष पर
टिका नहीं कक्ष पर
युग नया नवीन मन
छद्म धूलि भर गगन
हिंस्र बुद्धि आक्रमण
दन दनन धन धनन
बांसुरी में विषयराग
रेटिना पर रक्तदाग
आत्मा है सिर्फ झाग
पंखुरी है पंचनाग
घूमता है तीन साठ
झूठ का है सत्य ठाठ
दीमकों का गेह काठ
चाहिए है और पाठ