रविवार की कविता | कवि : भास्कर चौधुरी | संग्रह: कुछ हिस्सा तो उनका भी है

 



रिश्ते
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ये जो आधे पाकिस्तानी
आधे हिंदुस्तानी
आधे हिन्दू-आधे मुसलमान हैं

ये जो पाकिस्तान से भारत आ रहे हैं
ये जो लौट रहे हैं भारत से पाकिस्तान
ये जो भारत से पाकिस्तान जा रहे हैं
ये जो लौट रहे हैं पाकिस्तान से भारत

ये जो औरत है
आधी से ज्यादा जली हुई
जिसका नाम रुखसार है
छह बच्चों की माँ थी
अब एक बच्चे की है
भारत आयी थी
रुखसार के ममेरे भाई रहते हैं दिल्ली में
वापस फैसलाबाद जा रही थी

ये खाँ साहब हैं
उनके चचेरे, फुफेरे भाई रहते हैं दिल्ली में
वे आये थे दिल्ली पहले भी कई बार
वापस भी लौटे
जब-जब गाड़ी चली
ये जो हैं
जिनकी आँखों के सामने तिर रही है
हर वक्त जिन्दा जलते बच्चों की तस्वीरें
ये जिनके नथूनों में
जलते हुए ताजा माँस और उबलते हुए लहू से
निकलती हुई गंध बसी है

इनके पास सब्र का बाँध नहीं
पूरा का पूरा ब्रह्मांड है

ये हिन्दुस्तान-पाकिस्तान नहीं
ये हिंदू-मुसलमान भी नहीं
इनके दिल झेलम और चिनाब की तरह बहते हैं

ये वे है
जिनकी आँखों में ख्वाहिशें कभी मरती नहीं
इनके दिलों में
दादी चाची चचेरे फुफेरे ममेरे
कई-कई पुरखों के रिश्ते होते है...।



 
कवि : भास्कर चौधुरी 
संग्रह: कुछ हिस्सा तो उनका भी है
प्रकाशक: संकल्प प्रकाशन, बागबाहरा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)

रोहित कौशिक की वाल से..