सपनों का मरना,सपनों का पलना | विपिन शुक्ला रेम्बो

 आंखे ,

कहती है बहुत कुछ,
सपनों का मरना,सपनों का पलना
और साकार होना, 
उम्मीदें, छल, और कपट 
कहती और देखती हैं आंखे, 
आंखे ,
जो देखती है तमाम मंजर भी
आंखे ,
जो निकाल देती हैं 
दिल में पल रहे अनजाने अहसास को, 
पानी की तरह...
आंखे,
जो देखती है नींद में भी सुनहरे सपने, 
आंखे ,
जो मुंद जाती हैं अनिश्चित समय पर 
और फिर कभी नहीं खुलती..


2

चलते जाना
जब घिर जाओ चारो ओर से
दु:खो  से,पीड़ाओं से
तो सह लेना  सब कुछ
ये सोच कि पीड़ाएं
बनाएंगी तुम्हे और मजबूत
जैसे फूल उग आते है दुबारा
एक बार तोड़ लेने पर

चलना और दो कदम आगे
एक उम्मीद लेकर,
खुद का साथ देकर,
ये सोच कि पीड़ाएं
रुक जाएंगी खरगोश की तरह
और तुम चलना निरंतर
जैसे कछुआ चलता रहा
अपनी चाल में...

सूना लगने लगे आकाश
छा जाए आंखो में अंधेरा
जब बंध जाए पैरो में बेड़ियां
तो करना उन्हें तोड़ने की
बार बार बार बार कोशिश

न टूटे बेड़ियां तो काट लेना
अपने पैर अपने ही हाथों
लेकिन चलना थोड़ा और आगे
बिना रुके हुए..
क्युकी टूटे हुए फूल के बाद
लगता है एक बड़ा फूल
उसी डाली में.....
@विपिन शुक्ला रेम्बो