समंदर से भी गहरा है "पापा" का प्यार।
सब के लिए रहता मन इनका उदार।
इनकी छत्रछाया में पाता सुकून
पूरा परिवार है।
हर मुश्किलों से रक्षा करते
"पापा"परिवार के रक्षा कवच है।
घर का सारा बोझ कंधे पर लेते
पर कभी ना चेहरे पर उदासी दिखाते।
थके हारे लौटते जब काम से
फ़िर भी हल्की मुस्कान से सब का दिल बहलाते।
हर मुश्किलों का हल रहता इनके पास।
डटकर सामना करते हैं
हर मुश्किल को पल में दुर भगाते है।
जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाते है कभी कभी।
फ़िर भी सिना तानकर
संभालते हैं पूरे परिवार को।
शब्द कम पड़ रहे हैं अब
पापा की तारीफ़ में।
जितनी भी करूं कम ही है
यह ऐसे सुन्दर आसमां है।
जिसके तलें सुकून से सोता
पूरा परिवार है।
डॉ सपना दलवी ( कर्नाटक)
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